गोवा के किसान बिहार आकर सीख रहे मशरूम उत्पादन : राज्यपाल

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बिहार में सहकार को संस्कार के साथ व्यापक रूप देने की जरूरत
सहकारिता से समृद्धि के संकल्प के साथ एफपीओ प्रकोष्ठ के पहले राष्ट्रीय अधिवेशन का समापन
सहकार भारती की स्मारिका का विमोचन, डाटा कलेक्शन सिस्टम की शुरुआत 
   
पटना। कृषि को स्थायी व्यवसाय में बदलने, देश के 86 फीसदी छोटे व सीमांत किसानों की आय दोगुनी करने और सहकारिता से समृद्धि के संकल्प के साथ रविवार को सहकार भारती के एफपीओ प्रकोष्ठ का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न हो गया। राजधानी के ऊर्जा ऑडिटोरियम में आयोजित समागम में 21 राज्यों के तकरीबन 1000 एफपीओ प्रतिनिधियों व सहकार कार्यकर्ताओं ने शिरकत की।


समरोप सत्र में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि एफपीओ के जरिये किसानों की उन्नति का मार्ग प्रशस्त हुआ है। गोवा के किसान बिहार आकर मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग ले रहे हैं। बिहार में सहकार का दायरा सीमित है। इसको संस्कार के साथ व्यापक रूप देने की जरूरत है। संबोधन से पूर्व राज्यपाल आर्लेकर ने सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद के साथ सहकार भारती की स्मारिका का विमोचन और डाटा कलेक्शन सिस्टम का शुभारंभ किया।   
राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय पाचपोर ने कहा कि सहकार भारती किसानों और सरकार के बीच कड़ी बनने का काम करेगी। देश के हर प्रखंड में कम से कम एक एफपीओ गठित करने की हमारी योजना है। उन्होंने एफपीओ के पहले राष्ट्रीय अधिवेशन के सफल आयोजन के लिए संयोजक सह राष्ट्रीय मंत्री दीपक चौरसिया के प्रति आभार जताया। समारोह की शुरुआत में राज्यपाल व सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
मौके पर सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीनानाथ ठाकुर, महामंत्री डॉ. उदय जोशी, प्रदेश अध्यक्ष रामदयाल सिंह, महामंत्री शशिबाला रावल, अमिताभ लाल वर्मा, रवि रंजन श्रीवास्तव, वैद्य अंकेश मिश्र, डॉ. राजेश वर्णवाल, प्रो. प्रमिला सिंह समेत कई प्रमुख लोग मौजूद रहे। समापन सत्र के दौरान पूरा सभागार भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारों से गूंजता रहा।
दो दिवसीय अधिवेशन में कृषि क्षेत्र में एफपीओ की वर्तमान स्थिति, कार्यान्वयन में आ रही समस्याओं और भविष्य की संभावनाओं पर चिंतन किया गया। 21 प्रदेशों में चल रही एफपीओ की कार्यप्रणाली से एक-दूसरे को अवगत कराया गया। इस दौरान विषय के विशेषज्ञों ने सहकार कार्यकर्ताओं की आशंकाओं को दूर किया। ग्रामीण इलाकों में बाजार से कृषि उत्पादों को जोड़ने के लिए नेटवर्क तैयार करने का जिम्मा एफपीओ को सौंपने के राज्य सरकार के फैसले की सराहना की गई।

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