मिथिला विश्वविद्यालय के एनएसएस कोषांग एवं बीएड विभाग की एनएसएस इकाई द्वारा ‘स्वैच्छिक रक्तदान शिविर’ आयोजित
विश्वविद्यालय परिसर स्थित पंजाब नेशनल बैंक शाखा के सौजन्य से आयोजित शिविर में 16 व्यक्तियों ने किया स्वैच्छिक रक्तदान
रक्तदान एवं रक्तग्रहण सामाजिक समरसता एवं मानवीय समानता का प्रतीक, जिससे जरूरतमंदों को बड़ी मदद संभव- प्रो पुष्पम नारायण
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के राष्ट्रीय सेवा योजना कोषांग एवं बीएड (रेगुलर) विभाग की एनएसएस इकाई के संयुक्त तत्वावधान में “विश्व रक्तदाता दिवस” के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन आज विश्वविद्यालय परिसर स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा के सौजन्य से “स्वैच्छिक रक्तदान शिविर” का आयोजन बीएड विभाग के परिसर में किया गया, जिसमें 16 शिक्षकों, छात्र-छात्राओं एवं अन्य व्यक्तियों ने रक्तदान किया, जिनमें प्रो पुष्पम नारायण, डॉ सोनू राम शंकर, डॉ कामेश्वर पासवान, अमित कुमार झा, देवांगी घोष, विशाल कुमार, दिलीप कुमार बैठा, अरविन्द कुमार, दिव्यांश श्री, सुमेधा श्रीवास्तव, अक्षय कुमार झा, लक्ष्य कुमार ठाकुर, राहुल राज, रंजन कुमार झा, विजय कुमार तथा उदय कुमार के नाम शामिल हैं। इस अवसर पर डॉ निधि वत्स, डॉ मिर्जा रुहुल्लाह बेग, डॉ प्रेम कुमारी, डॉ राहुल रंजन, रवि प्रकाश, रवीन्द्र कुमार, अंजूम खान, एस के प्रभाकर, समरेश कुमार, सरोज कुमार, राहुल राज, रामबालक यादव आदि सहित 50 से अधिक व्यक्ति उपस्थित थे। रक्त का संग्रह डीएमसीएच, दरभंगा के रक्त केन्द्र के डॉक्टर मंजर इमाम के नेतृत्व में 6 सदस्यीय टीम ने किया।
लाल फीता काटकर रक्तदान शिविर का उद्घाटन करते हुए विश्वविद्यालय की ललित कला संकायाध्यक्ष प्रो पुष्पम नारायण ने कहा कि रक्तदान महादान एवं महापुण्य का कार्य है। यह लोगों का भ्रम है कि इससे शरीर कमजोर होता है। इससे हमारे शरीर में रक्त रिफ्रेश होकर तेजी से बनता है। रक्तदान हम सबको करना चाहिए, क्योंकि यह हमारा सामाजिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि रक्तदान एवं रक्तग्रहण सामाजिक समरसता एवं मानव समानता का प्रतीक है, क्योंकि जरूरत पड़ने पर हमें किसी का भी रक्त चढ़ाया जाता है। रक्तदान से जरूरतमंदों को बड़ी मदद मिलती है और समाज भी आगे बढ़ता है। मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी, दरभंगा के सचिव मनमोहन सरावगी ने कहा कि रक्तदाता सबसे महान होते हैं, क्योंकि इसके कारण मरणासन्न व्यक्ति के जीवन बचाने का प्रयास सफल होता है। हमें जीते जी रक्तदान तथा मरने के बाद नेत्र एवं अंगदान करना चाहिए। उन्होंने आह्वान किया कि हमारे छात्र एवं युवा नियमित रक्तदान कर सक्रिय रक्तदाता बनें।
विशिष्ट अतिथि एवं विश्वविद्यालय के भू संपदा पदाधिकारी डॉ कामेश्वर पासवान ने कहा कि रक्तदान एक नेक काम है। इसमें शामिल होकर मैं अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। उन्होंने ग्रीष्मावकाश, रविवार एवं अधिक गर्मी के बावजूद शिविर में काफी संख्या में लोगों के भाग लेने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस पुण्य के कार्य में हम सबको बढ़- चढ़कर भाग लेना चाहिए। पीजी इकाई के एनएसएस पदाधिकारी डॉ सोनू राम शंकर ने कहा कि मुझे शिविर में रक्तदान करने का सुअवसर मिला है जो मेरे लिए बड़े सौभाग्य की बात है। भारत की दान परंपरा में आज रक्तदान सर्वश्रेष्ठ है। ईश्वर प्रदत्त रक्त का दान जीवनदान सदृश है। पीएनबी शाखा के प्रबंधक हेमंत झा ने शिविर आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह सबसे बड़ा इंसानियत का काम है। रक्तदान करने वाले फरिश्ता सदृश्य होते हैं। यह छोटा प्रयास दिखता है, परंतु इसका प्रभाव बहुत बड़ा होता है।
डीएमसी रक्त केन्द्र के डॉ मंजर इमाम ने रक्तदान को जीवनदान बताते हुए कहा कि रक्तदाता हमारे विभाग से प्राप्त डोनर कार्ड से 6 माह के अंदर बिहार के किसी भी पंजीकृत ब्लड बैंक से रक्त प्राप्त कर अपने परिवार या दूसरों को मदद कर सकते हैं। बीएड के विभागाध्यक्ष डॉ अरविन्द मिलन ने बताया कि मेरे विभाग में प्रतिवर्ष रक्तदान शिविर लगाया जाता है, ताकि हमारे छात्र भविष्य में शिक्षक बनकर अपने सामाजिक दायित्वों को भी निभा सकें। साथ ही वे सिर्फ अपने छात्रों को पढ़ायेंगे ही नहीं, बल्कि समाज को नयी दिशा भी प्रदान कर सकेंगे।
एनएसएस के समन्वयक सह रक्तदान शिविर के संयोजक डॉ आर एन चौरसिया ने बताया कि शिविर में निर्धारित लक्ष्य से अधिक 16 यूनिट रक्तदान हुआ। रक्तदाताओं में विश्वविद्यालय के शिक्षक, पदाधिकारी, विभिन्न कॉलेजों एवं स्नातकोत्तर विभाग के स्वयंसेवक, छात्र-छात्राओं के अलावे अन्य सामाजिक व्यक्तियों भी शामिल हुए।
रक्तदाता अमित कुमार झा ने कहा कि हर तीन माह पर रक्तदान करने से शरीर स्वस्थ रहता है और मोटापा भी घटना है। विशाल कुमार ने कहा कि यह मेरा पहला रक्तदान है जो अच्छा लग रहा है। सुमेधा श्रीवास्तव में कहा कि पहले मुझे डर लग रहा था, पर अब दूसरों की जिंदगी बचाने का मुझे सुकून और शांति मिल रही है। दिव्यांश श्री ने कहा कि मैं अपने दोस्तों से भी कहूंगा कि वे रक्तदान कर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाएं। अक्षय कुमार झा ने कहा कि मैं नवमी बार रक्तदान कर रहा हूं। रक्त किसी फैक्ट्री में नहीं बनता है, अतः सबको रक्तदान करना चाहिए। लक्ष्य कुमार ठाकुर ने कहा कि रक्तदान से दूसरों का जीवन बचता है तथा हमें असीम शांति मिलती है। राहुल राज ने आठवीं बार रक्तदान कर प्रसन्नता व्यक्त किया।