NEET EXAM केंद्र ने 13 जून को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-अंडरग्रेजुएट (एनईईटी-यूजी), 2024 के 1,563 उम्मीदवारों को अनुग्रह अंक देने का निर्णय वापस ले लिया गया है। केंद्र ने अदालत में कहा कि जिन छात्रों को कुछ केंद्रों पर परीक्षा शुरू होने में देरी के कारण समय की हानि की भरपाई के लिए अनुग्रह अंक दिए गए थे, उन्हें दोबारा परीक्षा देने का विकल्प दिया जाएगा। अदालत ने एनटीए की दलील को दर्ज किया कि पुन: परीक्षा 23 जून को आयोजित की जाएगी। परिणाम 30 जून को घोषित किए जाएंगे।
प्रभावित 1563 अभ्यर्थियों को बिना प्रतिपूरक अंकों के उनके वास्तविक अंकों की जानकारी दी जाएगी। उनकी पुनः परीक्षा का परिणाम उनके वास्तविक अंकों के आधार पर घोषित किया जाएगा। दोबारा परीक्षा के लिए उन्हें कोई प्रतिपूरक अंक नहीं दिए जाएंगे।
NEET EXAM

5 मई, 2024 की परीक्षा में प्राप्त अंक हटा दिए जाएंगे। 6 जुलाई को निर्धारित काउंसलिंग सत्र को प्रभावित न करने के लिए पुन: परीक्षा/परिणामों की घोषणा की जाएगी। जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की अवकाश पीठ ने ग्रेस मार्क्स के मुद्दे पर याचिका का निपटारा कर दिया। प्रश्नपत्र लीक आदि के आरोपों पर कोर्ट ने एनटीए को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने इससे पहले 10 अभ्यर्थियों की ओर से दायर एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए 8 जुलाई को सुनवाई तय की थी l
सुप्रीम कोर्ट ने एमबीबीएस, बीडीएस और अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए विवादास्पद NEET-UG, 2024 से संबंधित एडटेक फर्म फिजिक्स वाला के मुख्य कार्यकारी द्वारा दायर याचिका सहित तीन याचिकाओं पर सुनवाई की।
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एनटीए द्वारा 5 मई को 4,750 केंद्रों पर परीक्षा आयोजित की गई थी और लगभग 24 लाख उम्मीदवारों ने इसमें भाग लिया था। परिणाम 14 जून को घोषित होने की उम्मीद थी, लेकिन 4 जून को घोषित किए गए, क्योंकि उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन पहले ही पूरा हो गया था।

NEET Wiki Faq:
भारत में चिकित्सा-स्नातक के पाठ्यक्रमों (एमबीबीएस , बीडीएस आदि) में प्रवेश पाने के लिये एक अर्हक परीक्षा (qualifying entrance examination) होती है जिसका नाम राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (नीट NEET ) है।[1] भारतीय चिकित्सा परिषद (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) और भारतीय दन्त परिषद (डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया) की मंजूरी से देश भर में चल रहे मेडिकल और डेंटल कॉलेजों (सरकारी या निजी) के एमबीबीएस ( MBBS ) बीडीएस (BDS), आयुष (AYUSH), पशु वेटनरी (BVsc) पाठ्यक्रमों में प्रवेश इसी परीक्षा के परिणाम के आधार पर होता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (जेआईपीएमईआर, पांडुचेरी) के भी एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश इसी परीक्षा से होते हैैं। यह परीक्षा पहली बार ५ मई २०१३ को हुई थी। [2] अंतिम एनईईटी प्रवेश परीक्षा (2018 ) 6 मई को आयोजित की गई थी और परिणाम 4 जून को घोषित किए गए थे।

परीक्षा पैटर्न और संरचना
भौतिकी, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान और प्राणीविज्ञान से प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रत्येक सेक्शन से 50 प्रश्न (भाग-अ 35प्र., भाग-ब – .15 प्र.जिनमे से कोई 10 प्रश्न आवश्यक है ) आते हैं यानि कुल 200 प्रश्न। एक सही उत्तर पर उम्मीदवार को 4 अंक मिलते हैं और हर गलत उत्तर के लिए 1 अंक काट लिया जाता है। यदि उम्मीदवार ने किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया है तो उसके लिए कोई अंक नहीं दिया जाता। कुल समय अवधि 3 घंटे 20 मिनट की है।
Neet Exam
इतिहास
मेडिकल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में चिकित्सा स्नातक पाठ्यक्रम (यानी, एमबीबीएस) में दखिले के समय बड़े पैमाने पर होने वाली धांधली रोकने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। इसके लिए केंद्रीकृत प्रवेश परीक्षा प्रणाली लागू करने का सुझाव दिया जा रहा था। इंजीनियरिंग कॉलेजों में यह प्रक्रिया लागू थी मगर निजी कॉलेजों और राज्य सरकारों की अनिच्छा के चलते इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा पा रहा था।
इससे पहले यह परीक्षा ‘एआईपीएमटी’ (ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट) कहलाती थी। यह परीक्षा देशभर में एक साथ होती थी। इस परीक्षा में आए अंकों के आधार पर ही छात्रों को केन्द्र सरकार द्वारा संचालित मेडिकल संस्थानों में प्रवेश दिया जाता था। लेकिन सरकार ने पारदर्शिता, मेडिकल शिक्षा में उच्च मानक स्थापित करने और छात्रों को कई परीक्षाओं के बोझ से बचाने के लिए देश भर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए एक परीक्षा आयोजित कराने का फैसला लिया। नीट प्रवेश परीक्षा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानि सीबीएसई द्वारा किया जाता है।
छिपी बात नहीं है कि चिकित्सा संस्थानों में दाखिले के लिए होड़ लगी रहती है। चूंकि चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई के बाद रोजगार की उस तरह समस्या नहीं रहती जैसे दूसरे तकनीकी पाठ्यक्रमों के बाद रहती है। इसलिए पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए कुछ अधिक भीड़ रहती है।
चूंकि निजी संस्थानों में मैनेजमेंट कोटे का प्रावधान है और दाखिले के लिए कॉलेज खुद शर्तें तय करते हैं, इसलिए वहां ज्यादातर सीटों पर पैसे वाले लोगों के बच्चे काबिज हो जाते हैं। इन पाठ्यक्रमों में मुंहमांगी रकम देने वालों की कतार लगी रहती है। जाहिर है, मैनेजमेंट के लिए कॉलेज चलाना कमाई का बड़ा धंधा बन चुका है। मगर दाखिले में पारदर्शिता और व्यावहारिक व्यवस्था न होने के चलते बहुत सारे मेधावी विद्यार्थियों को दाखिले से वंचित होना पड़ता है।