बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर की मिडिल क्लास फैमिली का एक लड़का, देश के सबसे मुश्किल इम्तिहानों में से एक इम्तिहान क्रैक करके खड़कपुर पहुंचता है, पर चार दिन में उस जगह से उसका दिल ऊब जाता है। फिर लड़का सोचता है कि एमबीए करले,फिर कभी दिल किया की यूपीएससी ट्राय किया जाए, ऐसे सत्रह अलग अलग करियर ऑप्शन का अक्कड़ बक्कड़ खेलने के बाद एक दिन वो अपने कॉलेज के स्टेज पर एक्टिंग करने चढ़ता है। और उसी वक्त उसी पल उसकी सारी कन्फ्यूजन दूर हो जाती है। फिर वो अपने कंप्यूटर पर गूगल से पूछता है कि इस फील्ड का महारथी कैसे बना जाए।जवाब में उसे पता चलता है कि बहुत सारी मेहनत और ढेर सारा सब्र चाहिए होगा। इन्ही दो चीजों की गठरी लेकर वो मुंबई पहुंचता है। कुछ दिन नकारा घूमने के बाद वो कुछ तरकीब लगाता है और उस तरकीब से उसे ओम शांति ओम फिल्म में असिस्टेंट का काम मिल जाता है। उसे लगता है कि चलो अब मेहनत खत्म और सब्र का फल खाने का वक्त आ गया। पर फिल्म रिलीज होती है, सब हिट हो जाते है, लड़का पीछे रह जाता है। हिम्मत करके वो खुद से जो बन पड़े वो बनाने लगता है।

उसका दिमाग था नई नई पनप रही इंटरनेट जेनरेशन वाला,रघुवीर यादव की मुल्ला नसरुद्दीन भी देखी थी उसने,और अमरिक्का की फ्रेंड्स भी, पर मुंबई की इंडस्ट्री पॉलिटिकल साइंस वालो से भरी पड़ी थी, तो उसने सोचा एमटीवी के पास जाते है शायद वहा कुछ बात बन जाए। पर वहा से भी थोड़ी बहुत इज्जत मजम्मत के साथ “ बाबा आगे बढ़ो” का फरमान मिलता है। अब वो वापस उसी जगह लौटने का फैसला करता है, जहा से उसने सब कुछ सीखना शुरू किया था, इंटरनेट। फिर वो अपने कुछ इंजिनियरिंग के दोस्तो के साथ मिलकर एमटीवी के ही शो रोडीज का एक स्पूफ बनाता है। फिर देखते देखते आगे बढ़ो कहने वाले चैनल से भी वो बहुत आगे निकल जाता है, और फिर धीरे धीरे एक ऐसा इकोसिस्टम बनाता है, जहा सिर्फ और सिर्फ कंटेंट की पूजा होती है, टेलेंट की पूछ होती है।

19 साल की मेहनत, फजीहत और कबाहट के बाद कभी अपने हॉस्टल के कमरे में धूल फांकते हुए कंप्यूटर पर विडियो एडिट करने वाला ये लड़का आज हिंदी ओटीटी की दुनिया के टॉप टेन की लिस्ट के आधा दर्जन शोज की फाइनल एडिट तय करता है, जिसका नाम किसी शो से जुड़ा हो तो लोगो को क्वालिटी पर भरोसा रहता है, और आज इसी के पास इस सवाल जवाब है कि पंचायत का अगला सीजन कब आने वाला है।तो बताइये #arunabhkumar
प्रतिनिधि – दीपशिखा