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प्रति माह पोषक क्षेत्र के 8 से 10 संभावित मरीजों को करें चिह्नित

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आशा कार्यकर्ताओं के सक्रिय सहयोग से टीबी उन्मूलन अभियान होगा सफल

अररिया।

जिले में टीबी उन्मूलन अभियान की सफलता में आशा कार्यकर्ता की भूमिका महत्वपूर्ण है। मरीजों को चिह्नित करने से लेकर अपने निगरानी में रोगी को दवा का पूरा कोर्स खिलाने पर सरकार द्वारा उन्हें निर्धारित प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाता है। टीबी रोग से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने व इसे लेकर सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी आशा कर्मियों को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन गुरुवार को फारबिसगंज  पीएचसी परिसर में किया गया। सीडीओ डॉ वाईपी सिंह की अध्यक्षता में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला टीबी व एड्स समन्वयक दामोदर शर्मा, पीएचसी प्रभारी राजीव बसाक सहित अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में आशा कर्मियों को रोग के लक्षण, उपचार संबंधी जरूरी जानकारी साझा करते हुए रोग उन्मूलन को लेकर विभिन्न सरकारी प्रयासों के प्रति जागरूक किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रखंड अंतर्गत आठ पंचायत के की आशा फैसिलिटेटर व आशा कर्मियों के साथ-साथ सभी एसटीएस, एटीएलएस, डीपीएस सहित अन्य ने भाग लिया।

जिला टीबी व एड्स समन्वयक ने बताया कि सभी आशा कर्मियों को प्रत्येक माह संबंधित पोषक क्षेत्र से 08 से 10 संभावित टीबी मरीजों को चिह्नित करने का लक्ष्य दिया गया है। इसी तरह आयुष्मान आरोग्य मंदिर में कार्यरत सीएचओ को भी प्रति दिन ओपीडी में आने वाले संभावित मरीजों को चिह्नित कर उनका बलगम जांच सुनिश्चित कराते हुए इसकी अद्यतन रिपोर्टिंग सुनिश्चित कराने के लिये निर्देशित किया गया है। सीएचओ को इसके लिये विशेष रूप से प्रखंड स्तर पर प्रशिक्षित भी किया जायेगा। प्रशिक्षण में शामिल कर्मियों को टीबी उन्मूलन अभियान की सफलता को लेकर संचालित निक्षय मित्र, निक्षय पोषण योजना व डीबीटी संबंधी अन्य योजना की जानकारी दी गयी। टीबी रोगियों के कंसेंट पेंडिंग में सुधार के साथ निक्षय मित्रों की संख्या बढ़ाने पर बैठक में विशेष जोर दिया गया। जिला टीबी व एड्स समन्वयक दामोदर शर्मा ने बताया कि जिले के सभी टीबी यूनिट को अपने स्तर से 04 टीबी चैंपियन को चिह्नित करते हुए इसकी सूची जिला टीबी यूनिट को उपलब्ध कराने के लिये निर्देशित किया गया है। ताकि उन्हें खासतौर पर प्रशिक्षित करते हुए टीबी उन्मूलन अभियान में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करायी जा सके।

टीबी रोग का आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं से इलाज किया जाता है और बिना इलाज के यह जानलेवा भी हो सकता है। कुछ देशों में, टीबी से बचाव के लिए शिशुओं या छोटे बच्चों को बैसिल कैलमेट-गुएरिन (बीसीजी) का टीका दिया जाता है। यह टीका फेफड़ों के बाहर टीबी से बचाता है, लेकिन फेफड़ों में नहीं।

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