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राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में मिथिला विश्वविद्यालय में कार्यक्रम आयोजित

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राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ में मातृभूमि की महिमा और श्रद्धा का वर्णन है जो भारत माता के प्रति सम्मान का प्रतीक- कुलसचिव
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार चौधरी के आदेश से राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में पूर्वाह्ण 10:00 बजे विश्वविद्यालय के सभाकक्ष में सामूहिक गायन कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें संकायाध्यक्षों, विभागाध्यक्षों, पदाधिकारियों, शिक्षकों, डब्ल्यूआईटी के निदेशक, शिक्षकेत्तर कर्मियों, स्वयंसेवकों एवं छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग के छात्रों के नेतृत्व में लोगों ने राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ का सस्वर सामूहिक गायन किया।
इस अवसर पर कुलसचिव डॉ दिव्या रानी हांसदा ने लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय रचित राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ 7 नवंबर, 1876 को ‘बंगदर्शन’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ था जो बाद में उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ में 1882 में भी शामिल किया गया था। संस्कृत एवं बंगला भाषा में लिखित इस गीत में मातृभूमि की महिमा और उसके प्रति श्रद्धा का वर्णन किया गया है जो भारत माता के प्रति सम्मान का प्रतीक है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह गीत भारतीय क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा और उत्साह का स्रोत बन गया था। यद्यपि ब्रिटिश सरकार ने इसके गाने पर कई बार रोक लगाई थी, परंतु इसके प्रति लोगों की भावना एवं स्नेह कभी कम नहीं हुआ। कुलसचिव ने कहा कि आज ‘वन्दे मातरम्’ गीत गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस सहित अन्य आयोजनों के अवसर पर गर्वभाव से गया जाता है। उन्होंने बताया कि यह आयोजन संपूर्ण भारतवर्ष में किया जा रहा है जो पूरे वर्ष भर आयोजित किए जाएंगे। इसका उद्देश्य एकता और बलिदान के मूल्यों को उजागर कर मातृभूमि के प्रति आभार को व्यक्त करना है। यह गीत हर भारतीय के हृदय में नई ऊर्जा, साहस और एकता के भाव को संचारित करता है।

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