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ट्रबल से कपल के मिलने की कहानी नाटक द डबल ट्रबल

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करुनानयन चतुर्वेदी

नई दिल्ली, 27 सितंबर। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के अभिमंच सभागार में एनसीडी के तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों ने द डबल ट्रबल नाटक का मंचन किया। यह नाटक प्रसिद्ध इतालवी हास्य नाटककार कार्लो गोल्डोनी की रचना द सर्वेंट ऑफ टू मास्टर्स से प्रेरित था। इसका हिंदी रूपांतरण पुंज प्रकाश के किया है। नाटक में हास्य, कला,व्यंग और संगीत का अच्छा मिश्रण देखने को मिला।
कहानी एक नौकर और उसके दो मालिकों की है। पोटेदार की बेटी कुक्कू का विवाह कुमार राजवीर से तय हुआ रहता है लेकिन राजवीर की युद्ध में मृत्यु हो जाती है। पोटेदार अपनी बेटी का विवाह अपने मित्र और कुक्कू के प्रेमी सत्तू से करने का फैसला लेते हैं। उधर राजवीर की बहन अपने प्रेमी पन्नू की तलाश में पुरुष वेश में वहां आ पहुंचती और उन सभी को यकीन दिलाती है कि वही कुमार राजवीर है। इसके चलते सत्तू और कुक्कू की शादी टूट जाती है। राजवीर की बहन और उसके प्रेमी का नौकर एक ही होता है और वह ही उन दोनों को गलती से पुनः मिलाने में सहायता करता है। हालांकि यह उसकी गलती से ही होता है। नाटक पहले हॉफ में स्थापित होने में समय लेता है और इस दौरान कई बार वह दर्शकों को बांधने में असफल प्रतीत होता है। लम्बे लम्बे संवाद दर्शकों को बोर करते हैं किंतु बीच बीच में कुक्कू और सत्तू की जोड़ी उन्हें हंसाने की प्रयास भी करती है जिससे वह ज्यादा सफल होते नहीं दिखाई देते हैं।
मध्यांतर के बाद कहानी स्थिर होती है और संवाद के साथ नाटककारों के प्रयास सार्थक दिखाई पड़ते हैं। नौकर के रूप में आरती बरुआ ने काफी शानदार अभिनय किया है। कुक्कू की भूमिका में ममता जैसवार ने बेहतरीन काम किया है निर्देशक अरुण कुमार मल्लिक का प्रयास सराहनीय है । संगीत और हास्य का संतुलन दर्शकों को बोरियत से बचाने में सहायक सिद्ध हुआ है।

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