Headlines

छात्र हितों को लेकर अभाविप का धरना प्रदर्शन जारी

Spread the love

नई दिल्ली, 22 जुलाई। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) और अभाविप समर्थित दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र हितों को लेकर शुरू किया गया अनिश्चितकालीन धरना दूसरे दिन भी जारी है। आर्ट्स फैकल्टी में चल रहा यह धरना 24 घंटे का आंकड़ा पार कर चुका है। यह प्रदर्शन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रहित से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर कार्रवाई न करने के विरोध में किया जा रहा है।

ज्ञात हो कि धरने की शुरुआत 21 जुलाई को ‘छात्र अधिकार मार्च’ के साथ हुई, जिसमें हजारों छात्रों ने भाग लिया। यह मार्च स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से शुरू होकर आर्ट्स फैकल्टी तक पहुंचा, जहां पर छात्र कल से लगातार धरने पर बैठे हैं। अभाविप ने अपनी प्रमुख मांगों में सभी पीजी पाठ्यक्रमों के लिए एक समान शुल्क (वन कोर्स-वन फी), केंद्रीकृत होस्टल आवंटन प्रणाली की स्थापना, दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों में आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन और उसका सक्रिय संचालन, तथा कॉलेजों में मनमानी फीस वृद्धि को वापस लेने को सम्मिलित किया। इन मांगों में से जहां एक ओर प्रशासन ने केंद्रीकृत होस्टल आवंटन की मांग पर प्रतिक्रिया दी है, वहीं बाकी अहम मुद्दों पर अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। जब तक सभी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है, तब तक अभाविप छात्र हित में ऐसे ही अनिश्चितकालीन धरने पर बैठा रहेगा।

अभाविप दिल्ली प्रदेश मंत्री सार्थक शर्मा ने कहा कि, हमें आर्ट्स फैकल्टी में बैठे 24 घंटे से अधिक हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन ने अब तक हमारी अधिकांश मांगों पर कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है। केंद्रीकृत होस्टल प्रणाली की शुरुआत ज़रूर एक सकारात्मक कदम है, लेकिन यह काफी नहीं है। छात्र महज़ प्रतीकात्मक सुधार नहीं, बल्कि ठोस बदलाव के हक़दार हैं। अभाविप इस संघर्ष को आख़िरी सांस तक जारी रखेगी। यह आंदोलन छात्र अधिकारों की रक्षा के लिए है और हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।

अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेन्द्र सिंह सोलंकी ने भी धरनास्थल पर पहुँचकर छात्रों के साथ एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक है, लेकिन इसके छात्र आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। अभाविप ने हमेशा छात्र संघर्षों की अगुवाई की है और यह अनिश्चितकालीन धरना हमारे इसी अडिग संकल्प का प्रतीक है। केंद्रीकृत होस्टल व्यवस्था जैसे सुधार स्वागत योग्य हैं, लेकिन जब तक फीस निर्धारण से लेकर ICC की प्रभावी कार्यप्रणाली जैसी समस्याओं का संपूर्ण समाधान नहीं होता, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। यह केवल विरोध नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय व्यवस्था में गरिमा, समानता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की लड़ाई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Top