प्रो रामेश्वर मिश्र पंकज
मैं मंडल कमीशन रिपोर्ट के आने के समय से अपने लेखो और भाषणों में लगातार यह मांग कर रहा हूं किभारत में जातिवार जनगणना किया जाना आवश्यक है।
जाति की संख्या और संपदा दोनों की जनगणना हो यानी किस जाति के पास कुल कितनी संपदा है, कितनी शक्ति है,कितनी भूमि है, कितने कृषि पशु तथा अन्य पशु हैं, कितने हुनर और शिल्प, कला और दक्षताएँ हैं, क्या हैसियत है ,शासकीय पदों में ,सेना aur पुलिस में कितने लोग हैं और वाणिज्य व्यवसाय में कितने लोग किस जाति के हैं।आय की स्थिति क्या है।भवन आदि सम्पदा के विवरण तो होंगे ही।
उसकी जातिवार जनगणना बहुत आवश्यक है।तब झूठे दावों की पोल खुलेगी ।
पता नहीं क्यों भाजपा सरकार ने भी जाति जनगणना का विरोध किया।
अब पक्ष में निर्णय लिया जाना राष्ट्रहित में अत्यंत आवश्यक है।
पूरी सत्यता के साथ संख्या और संपदा की भी जनगणना अवश्य हो।
स्पष्ट हैकि संपदा में भवन भूमि कृषि पशु सभी संपदाएं आएँगी।इसके साथ ही शासन में कितनी भागीदारी है यह भी एक संपदा का ही रूप है । व्यापार में भी।
संपदा के सभी रूपों की जातिवार जनगणना होनी चाहिए।
ये तथ्य भारत के सामने आने चाहिए। इससे हिंदू समाज के वर्तमान का जातिवार स्वरूप स्पष्ट होगा और झूठे दावे निरस्त होंगे।
मैं यह 1989 के पहले से ही लगातार कह रहा और लिख रहा हूं।
इसके साथ ही1889या1901 के जातिवार जनगणना के तुलनात्मक विवरण भी प्रसारित किए जाने चाहिए जिससे पता चले कि125वर्षों में किस जाति ने क्या खोया क्या पाया है। वीरतापूर्ण संग्राम के भी विवरणों के तुलनात्मक तथ्य आगे चलकर उपादेय होंगे।मण्डल आयोग की रिपोर्ट में जातियों के झूठे आंकड़े दिये गए थे।अब सत्य आँकड़े आने चाहिए।
सत्य से डरें नहीं।उनसे कल्याण होगा।
