पीजी एनएसएस इकाई, गृह विज्ञान विभाग तथा डॉ प्रभात दास फाउंडेशन के द्वारा पोषण पाखवाड़ा का हो रहा है आयोजन
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर विभागों की एनएसएस इकाई, विश्वविद्यालय गृह विज्ञान विभाग तथा डॉ प्रभात दास फाउंडेशन, दरभंगा के संयुक्त तत्वावधान में 8 से 23 अप्रैल, 2025 के बीच मनाये जा रहे पोषण पखवाड़ा के दौरान पीजी गृह विज्ञान विभाग में एनएसएस के विश्वविद्यालय समन्वयक डॉ आर एन चौरसिया की अध्यक्षता में “पोषण एवं मोटापा- प्रबंधन तथा शिशु-जन्म के शुरुआती 1000 दिनों का महत्व” विषय पर विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें गृह विज्ञान की प्राध्यापिका- डॉ प्राची मड़वाहा एवं डॉ प्रगति, एनएसएस पदाधिकारी डॉ सोनू राम शंकर, डॉ उषा झा, शोधार्थी एवं जेआरएफ रंभा कुमारी एवं रिचा कुमारी, प्रेरणा प्रगति, डिंपल कुमारी, समरेश कुमार तथा विवेक भारती आदि ने अपने विचार व्यक्त किया।
अध्यक्षीय संबोधन में डॉ आर एन चौरसिया ने मानव जीवन में पोषण के महत्व पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि उचित पोषण बच्चों एवं किशोरों की वृद्धि एवं विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हमारे शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता है और बीमारियों से भी बचाता है। पोषण से शरीर को ऊर्जा, खनिज तत्व, वसा, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट तथा प्रोटीन आदि प्रदान करता है जो बच्चों के संतुलित विकास एवं वृद्धि को संतुलित करता है। यह हमें खुश और संतुष्ट रखता है, जिससे हमारा मूड एवं भावनाएं सकारात्मक रहती हैं। उन्होंने स्वस्थ रहने के लिए जंक फूड, फास्ट फूड, तेलिया खाद्य पदार्थों, नमक, चीनी तथा मैदा आदि के सेवन को कम से कम करने की सलाह दी।
मुख्य वक्ता डॉ प्राची मारवाहा ने बताया कि बच्चों के शुरुआती 1000 दिन काफी महत्वपूर्ण होते हैं जो बच्चों को स्वस्थ जीवन का आधार तैयार करते हैं। गर्भावस्था से पूर्व, दौरान एवं बाद में भी उसके मां की जीवन शैली एवं पोषक खानपान का बच्चों के स्वास्थ्य पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने जन्म के छह माह तक शिशु को सिर्फ मां का दूध पिलाने की जरूरत बताते हुए कहा कि जन्म के 1 घंटे के अंदर मां का गहरा पीला दूध- कोलेस्ट्रम पिलाना बच्चों के लिए अमृत समान होता है जो उसकी रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाता है।
विषय प्रवेश कराते हुए डॉ प्रगति ने कहा कि बढ़ता मोटापा कई रोगों को आमंत्रित करता है। हमें जागरूकता पूर्वक अपनी जीवन शैली को व्यवस्थित करते हुए भोजन में कम से कम 50% फल, सब्जी, सलाद, दाल आदि नियमित रूप से लेना चाहिए। खेलकूद, योग, प्राणायाम, व्यायाम तथा ध्यान आदि को अपनी दिनचर्या में शामिल करने और अपने जीवन को व्यवस्थित करते हुए प्रकृति के अनुकूल जीवन जीने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अपने वेट के हिसाब से अधिक पानी पिए। सकारात्मक सोच तथा तनाव प्रबंधन कर पूरी नींद लेते हुए शरीर को सदा सक्रिय रखें।
अतिथियों का स्वागत तथा कार्यक्रम संचालन करते हुए डॉ सोनू राम शंकर ने मानसिक तनाव को दूर करने, स्वास्थ्यकर जीवन शैली अपनाने तथा शारीरिक श्रम करने की सलाह दी, क्योंकि इनसे भी मोटापा घटता है।
मिथिला विश्वविद्यालय में आयोजित पोषण पखवाड़ा के दौरान ‘पोषण एवं मोटापा प्रबंधन’ कार्यक्रम आयोजित

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