भोजपुरी साहित्य के शख्सियत अरुणेश नीरन की स्मृति सभा
नई दिल्ली, 19 जुलाई| राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली स्थित एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ऑफिसर्स इंस्टीट्यूट, सफदरजंग हवाई अड्डा में डॉ. अरुणेश नीरन जी की पुण्यस्मृति में एक भावभीनी श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस आयोजन की पहल विश्व भोजपुरी सम्मेलन की दिल्ली इकाई द्वारा की गई थी। इसमें देशभर के अकादमिक, साहित्यिक और सामाजिक क्षेत्रों के प्रतिष्ठित विद्वानों, भाषाविदों और संस्कृतिकर्मियों ने भाग लिया।
सभा का आरंभ नीरन जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर और दो मिनट के मौन से हुआ। इसके पश्चात वक्ताओं ने नीरन जी के साहित्यिक अवदान, भाषायी प्रतिबद्धता और संगठनात्मक जीवन पर प्रकाश डाला।
विश्व भोजपुरी सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अजीत दुबे जी ने इस अवसर पर डॉ. नीरन से जुड़े अपने संस्मरण साझा किए और कहा कि “नीरन जी ने हमें न केवल साहित्य और भाषा से जोड़ा, बल्कि उस भाषा को आत्मगौरव से जीने की दृष्टि भी दी।” उन्होंने भारत सरकार से मरणोपरांत ‘पद्मश्री सम्मान’ दिए जाने की माँग की और इसे भारतीय भाषायी चेतना के लिए एक आवश्यक क़दम बताया। वहीं साहित्य अकादमी के पूर्व उप सचिव डॉ. ब्रजेंद्र त्रिपाठी ने नीरन जी से अपने आत्मीय संबंधों को याद किया। बताया कि नीरन जी ने ‘समकालीन भोजपुरी साहित्य’ पत्रिका के माध्यम से भोजपुरी की बड़ी साहित्यिक सेवा की। इस सभा का संचालन दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. मनीष चौधरी जी ने किया। आयोजन में डॉ. विजय मणि त्रिपाठी, डॉ. गौतम, लोक गायिका विजयलक्ष्मी उपाध्याय, कवि देवकांत पांडेय श्री अरविंद दुबे गिरमिटिया फाउंडेशन संयोजक दिलीप गिरि सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन विश्व भोजपुरी सम्मेलन की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष विनय मणि त्रिपाठी ने किया।
सभा में निम्नलिखित प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए, जिन्हें भारत सरकार के समक्ष औपचारिक रूप से प्रस्तुत किया जाएगा:
श्रद्धांजलि सभा में पारित प्रस्ताव
(स्थान: एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ऑफिसर्स इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली | दिनांक: 19 जुलाई, 2025)
- डॉ. अरुणेश नीरन जी ने हिन्दी और भोजपुरी भाषा-साहित्य को अभिव्यक्ति, सम्मान और विस्तार देने हेतु अपने जीवन का संपूर्ण समर्पण किया। उनके साहित्यिक, सामाजिक और संगठनात्मक योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देते हुए यह सभा भारत सरकार से मरणोपरांत ‘पद्मश्री’ सम्मान देने की प्रबल अनुशंसा करती है।
- सभा ने यह भी सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि डॉ. नीरन जी के आजीवन संघर्ष को आदरांजलि देने हेतु भारत सरकार भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में यथाशीघ्र शामिल करे। यह न केवल उनके स्वप्न की पूर्ति होगी, बल्कि करोड़ों भोजपुरीभाषी नागरिकों की भावनाओं और भाषिक अधिकारों का सम्मान भी होगा।
सभा के समापन पर आयोजन समिति ने यह संकल्प लिया कि नीरन जी के साहित्यिक विचार, भाषाई आग्रह और सांस्कृतिक मूल्यों को आगे बढ़ाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।