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SAU मे वामपंथ का हुआ भंडाफोड़, ABVP के दावे हुए सत्य सिद्ध

नई, दिल्ली, 19 जुलाई। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय (SAU) की प्रॉक्टोरियल कमेटी द्वारा दिए गए हालिया निर्णय का स्वागत करती है, जिसने परिसर में सक्रिय वामपंथी तत्वों द्वारा रचे गए षड्यंत्र का पूरी तरह से पर्दाफाश कर दिया है। यह निर्णय अभाविप के रुख को न केवल सही साबित करता है, बल्कि न्याय और सत्य के मूल्यों की पुन: पुष्टि भी करता है।

26 फरवरी, महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर, जब अनेक छात्र उपवास पर थे, तब षड़यंत्रपूर्वक मेस सचिव यशदा सावंत द्वारा छात्रों के सामने मांसाहारी भोजन परोसा गया। यह कार्य न केवल धार्मिक भावनाओं के प्रति असंवेदनशील था, बल्कि उकसावे की नियत से किया गया था। जब छात्रों ने इसका शांतिपूर्ण विरोध किया, तब यशदा सावंत के मित्र सुदीप्तो दास ने उपवासी छात्रों के साथ हिंसा की और परिसर में भय एवं तनाव का माहौल बना दिया।

इसके बाद, स्थिति और भी भयावह हो गई जब इन्हीं तत्वों द्वारा विरोध कर रहे छात्रों पर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाए गए। यह वामपंथी गिरोह की एक घिनौनी रणनीति है जिसमें धार्मिक और नैतिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले छात्रों को बदनाम कर, विशेष रूप से छात्राओ के बीच उनका चरित्र हनन किया जाता है। यह न केवल कायरता है, बल्कि वामपंथ के मानसिक दिवालियापन के कारण छात्र राजनीति में उनके गिरते हुए स्तर को भी दर्शाता है।

SAU की स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रॉक्टोरियल जांच के बाद विश्वविद्यालय ने जो निर्णय सुनाया, वह इस प्रकार है:

  1. सुदीप्तो दास को विश्वविद्यालय से निष्कासित किया गया, जिन्होंने हिंसा और अनुशासनहीनता का परिचय दिया।
  2. यशदा सावंत पर ₹5000 का जुर्माना लगाया गया, जिन्होंने षड्यंत्रपूर्वक मांसाहारी भोजन परोसा और विद्यार्थियों को उकसाया।
    यह निर्णय उन छात्रों के संघर्ष को भी सम्मान देता है जिन्होंने अपने धार्मिक अधिकारों, गरिमा और शांतिपूर्ण छात्र जीवन के लिए आवाज़ उठायी।

अभाविप दिल्ली के प्रदेश मंत्री सार्थक शर्मा ने कहा कि यह केवल धार्मिक भावनाओं का अपमान नहीं था, बल्कि यह छात्रों की गरिमा और आस्था पर सीधा प्रहार था। सब ने देखा किस प्रकार शांतिपूर्वक उपवास कर रहे छात्रों को उकसाया गया और जब उन्होंने आपत्ति जताई, तो उन पर झूठे आरोप मढ़े गए। परन्तु सत्य को ज्यादा समय तक दबाया नहीं जा सकता। आज का यह निर्णय दर्शाता है कि झूठ चाहे जितना भी संगठित हो, अंततः जीत सत्य की ही होती है। अभाविप निश्चित ही विश्वविद्यालय प्रशासन का धन्यवाद करती है और आशा करती है कि आगे भी ऐसे षड्यंत्रों व कुकृत्यों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अभाविप पुनः दोहराती है कि वह हर विद्यार्थी के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि से हो, और हर उस विचारधारा के विरुद्ध खड़ी रहेगी जो छात्रों को बांटने, बदनाम करने या संस्थानों पर कब्जा जमाने की साज़िश रचती है।

अभाविप विश्वविद्यालय प्रशासन से आग्रह करती है कि वह वामपंथ की वैचारिक उग्रता के खिलाफ सतर्क रहें और यह सुनिश्चित करें कि छात्र परिसरों में संवाद, सांस्कृतिक समरसता और पारदर्शिता बनी रहे।
अभाविप छात्र-हित की कार्यनीति के अपने संकल्प को और भी अधिक दृढ़ता के साथ आगे बढ़ाएगी।

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