‘The Mind Behind Metaphysical Poetry’ और ‘रक्तिम किसलय’ से उभरी साहित्य की दो ध्रुव चेतनाएं—अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण और भारतीय आत्मा का मिलन
मधेपुरा | विश्वविद्यालय संवाददाता
बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. बी. एन. विवेका ने अपने शोध और रचनात्मक साहित्य के माध्यम से भाषा, भाव और बौद्धिक विमर्श के सेतु का निर्माण करते हुए दो महत्वपूर्ण कृतियाँ—“The Mind Behind Metaphysical Poetry” (अंग्रेज़ी शोधकृति) तथा “रक्तिम किसलय” (हिंदी कविता संग्रह)—विभिन्न विद्वानों और विश्वविद्यालय प्रशासन को समर्पित कीं।
उनकी अंग्रेज़ी पुस्तक “The Mind Behind Metaphysical Poetry” को माननीय विधान पार्षद व विश्वविद्यालय अभिषद सदस्य प्रो. संजीव कुमार सिंह को भेंट किया गया, जबकि हिंदी काव्य संग्रह “रक्तिम किसलय” को विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. बिपिन कुमार राय को समर्पित किया गया।
मेटाफिजिकल पोएट्री: शारीरिकता से आत्मिकता तक की यात्रा
डॉ. विवेका की अंग्रेज़ी कृति मेटाफिजिकल काव्य की दार्शनिक परतों को उद्घाटित करती है। जॉन डन जैसे कवियों के रचना-संसार को केंद्र में रखते हुए उन्होंने यह दिखाया कि प्रेम केवल इंद्रियानुभव नहीं, बल्कि मन और आत्मा के विलय की प्रक्रिया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि डन की प्रेमकविताएं मात्र शारीरिकता की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि चित्त और चेतना की ऊर्ध्वगामी यात्रा हैं। इसी क्रम में डॉ. विवेका ने हिंदी साहित्य का उदाहरण देते हुए दिनकर की ‘उर्वशी’ को और ओशो की ‘संभोग से समाधि तक’ को उस अंतर्दृष्टि से जोड़ा, जहाँ प्रेम तात्त्विक अनुभव बन जाता है।
‘रक्तिम किसलय’: शब्दों में समाज, व्यंग्य में चेतना
‘रक्तिम किसलय’ केवल कविताओं का संग्रह नहीं, एक समसामयिक मानसिकता का दर्पण है। इसमें हास्य-व्यंग्य के साथ सामाजिक-राजनीतिक अवनति की तीक्ष्ण पड़ताल है, तो वहीं अध्यात्म और मनोविश्लेषण की गहराई भी है। डॉ. विवेका ने कहा, “इन कविताओं को पाठक विश्राम के क्षणों में पढ़कर न केवल मुस्कराएंगे, बल्कि भीतर के सवालों से भी रूबरू होंगे।”
विश्वविद्यालय परिसर में साहित्यिक चेतना का प्रसार
डॉ. विवेका की यह दोनों कृतियाँ विश्वविद्यालय के बौद्धिक वातावरण में एक नवीन ऊर्जा का संचार करती हैं। जहाँ एक ओर The Mind Behind Metaphysical Poetry अंग्रेज़ी साहित्य में वैश्विक दृष्टिकोण की प्रस्तुति है, वहीं रक्तिम किसलय भारतीय संवेदना और सामाजिक यथार्थ की गूंज।
डॉ. बी. एन. विवेका की ये दोनों कृतियाँ समकालीन साहित्य में विषय, भाषा और दृष्टि के उत्कृष्ट मेल का प्रमाण हैं। इनका समर्पण न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह विश्वविद्यालय के लिए गर्व और प्रेरणा का क्षण भी है।
लेखक परिचय:
डॉ. बी. एन. विवेका– विभागाध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग, बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा। एक प्रबुद्ध आलोचक, संवेदनशील कवि और मर्मज्ञ शिक्षक, जिनकी लेखनी अंग्रेज़ी और हिंदी साहित्य के बीच सेतु का कार्य कर रही है।
