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संघर्ष से ही खुलेंगे सफलता के द्वार : दिनेश जांगिड़

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डॉ.बीआर अम्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली के हिंदी विभाग ने पांच दिवसीय हिंदी महोत्सव में दिनांक 18 सितंबर 2025 को सिविल सर्विसेज की तैयारी की क्या योजना होनी चाहिए विषय ‘हिंदी माध्यम से सिविल सर्विसेज’ की तैयारी कैसे करें ‘ पर कार्यशाला का आयोजन किया।
डॉ. बी. आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली के ‘साहित्य अध्ययन पीठ’ के अधिष्ठाता तथा हिंदी विभाग के अध्यक्ष एवं प्रोक्टर अकेडमिक अफेयर प्रो.सत्यकेतु सांकृत ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आपके अनुभव से हमारे विधार्थी लाभान्वित होंगे।उनके लिए यह कार्यशाला बेहद महत्वपूर्ण है जिसमें उनके अंधकारमय संघर्ष में दिशा की रोशनी चमकेगी। कार्यशाला के माध्यम से वह अपने भविष्य को उज्जवल बना पाएंगे।
दिनेश जांगिड़ ने  ‘हिंदी माध्यम से सिविल सर्विसेज’ की तैयारी कैसे करें ‘ विषय पर आयोजित कार्यशाला में अपना वक्तव्य देते हुए नए अभ्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी मेरे मन की भाषा है।जितना सोचने विचारने की क्षमता मेरी हिंदी भाषा में है, वैसी क्षमता मुझे कोई अन्य भाषा नहीं प्रदान कर पाती है।अध्ययन के लिए मैने पांच घंटे चुने परंतु वह पांच घंटे नियमित थे।जिसके कारण जब यू.पी. एस. सी की तैयारी की तो उसके पाठ्यक्रम को समाप्त करने में मुझे अधिक समय नहीं लगा।क्योंकि उसका मीडियम हिंदी थी।उन्होंने कहा आज तो तकनीकि युग है, आपके सामने डिजिटल क्रांति है। यूट्यूब ,वाट्सप, ऑनलाइन एप के माध्यम से सामग्री आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
डॉ. समीर पांडेय जी ने अपने वक्तव्य का आरंभ करते हुए बताया कि यह तैयारी आपको जीवन की चुनौतियों के लिए भी तैयार करती है।उन्होंने कहा कि मेरी रूची हिंदी साहित्य में थी।मुझे हिंदी साहित्य पढ़ना बेहद प्रिय लगता है।तैयारी के दौरान भी मैने अपना साक्षात्कार हिंदी में ही दिया और मेरा चयन भी हुआ।उन्होंने हिंदी साहित्य से जीवन के संघर्ष को अभिव्यक्त करने वाली कविताओं को प्रस्तुत करते हुए कहा कि संघर्ष ही सच है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. महेंद्र प्रजापति जी ने किया।
कार्यक्रम में प्राध्यापकों समेत शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति रही।

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