नई दिल्ली, 3 जुलाई। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के तरफ से आयोजित ग्रीष्मकालीन नाट्य महोत्सव के अंतर्गत एक सुरमयी संध्या ‘रंग संगीत’ शीर्षक से प्रस्तुत की गई। इस रंग संगीत में नए पुराने कई कलाकारों में अपनी प्रस्तुति दी।
इस विशेष कार्यक्रम में पिछले 60 वर्षों से भी अधिक समय में रंगमंच पर प्रस्तुत किए गए गीतों की संगीतमय प्रस्तुति दी गई, जिसे रंगमंडल के कलाकारों एवं रंगमंडल प्रमुख द्वारा भावपूर्ण स्वर में गाया गया। के.एन. पणिक्कर के ‘मत्तविलास प्रहसनम्’ का संगीत, बी.वी. कारंथ के ‘बाबूजी’ में गाया गया ‘गजाननं भूतगणादि सेवितम्’ और वनराज भाटिया जैसे मशहूर संगीतकारों की रचनाओं ने दर्शकों को बहुत भावुक और मंत्रमुग्ध कर दिया। इस संगीतमय कार्यक्रम में और भी कई नामी रंग-संगीतकारों जैसे रंजीत कपूर, हबीब तनवीर, पंचानन पाठक, मोहन उप्रेती, पियूष मिश्रा, स्वानंद किरकिरे, चित्तरंजन त्रिपाठी और अजय कुमार के गीतों को भी पेश किया गया। रंग संगीत की तारीफ करते हुए सुप्रसिद्ध रंगकर्मी सुशीलकान्त मिश्र ने बताया की इस प्रस्तुति में कोशिश किया गया है कि पुराने समय में जैसी प्रस्तुति हुई वैसे ही किया जाए जिससे दर्शकों में पुराने समय की यादों में लेजाया जा सके। वाकई पुराने समय ने नाटकों की याद दिलाती है। सभी कलाकारों ने इसमें बेहतर प्रदर्शन किया।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के तरफ से आयोजित ग्रीष्मकालीन नाट्य महोत्सव के अंतर्गत एक सुरमयी संध्या ‘रंग संगीत’ शीर्षक से प्रस्तुत की गई

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