“इमरजेंसी में संसद” विषयक संगोष्ठी का आयोजन
राजनीति विज्ञान विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा “इमरजेंसी में संसद” विषय पर एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन 29 सितम्बर 2025 को विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर स्थित सत्यकाम भवन ऑडिटोरियम में किया गया। इस संगोष्ठी में विभाग के अध्यापकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों एवं विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से आए विद्वानों ने सक्रिय सहभागिता की।
कार्यक्रम का औपचारिक शुभारम्भ अपराह्न 04:00 बजे विभागाध्यक्ष प्रो. रेखा सक्सेना के स्वागत उद्बोधन से हुआ। इसके उपरान्त सामाजिक विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो. संजय रॉय ने अपनी संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने संगोष्ठी के बौद्धिक महत्व को रेखांकित किया।
विशिष्ट वक्ता डॉ. सत्यपाल सिंह (पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं पूर्व सांसद) ने अपने व्याख्यान में भारतीय लोकतांत्रिक संस्थाओं की कार्यप्रणाली, जनप्रतिनिधियों की संवैधानिक जिम्मेदारियों तथा संसदीय प्रक्रियाओं की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी का मुख्य आकर्षण मुख्य वक्तव्य रहा, जिसे प्रस्तुत किया श्री रामबहादुर राय (अध्यक्ष, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र) ने। उन्होंने आपातकालीन कालखंड के दौरान संसदीय परंपराओं, लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं और संस्थागत उत्तरदायित्वों के ऐतिहासिक अनुभवों का गहन विवेचन किया। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान संसद को एक प्रस्ताव लाकर आपातकाल के दौरान संसद से पारित सभी क़ानूनों को निरस्त कर देना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता दक्षिणी परिसर, दिल्ली विश्वविद्यालय की निदेशक प्रो. रजनी अब्बी ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने संगोष्ठी की शैक्षणिक प्रासंगिकता पर बल दिया और लोकतांत्रिक विमर्श की निरंतरता को महत्त्वपूर्ण बताया।
संगोष्ठी का समापन डॉ. अनंत प्रकाश द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। संपूर्ण कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. भानु कुमार ने किया।
यह संगोष्ठी छात्रों, शोधार्थियों एवं अकादमिक समुदाय के लिए भारतीय लोकतंत्र के एक संवेदनशील एवं निर्णायक अध्याय को पुनः समझने तथा उस पर समकालीन दृष्टिकोण विकसित करने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर सिद्ध हुई।
