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मारवाड़ी कॉलेज की एनएसएस इकाई द्वारा ‘विश्व एड्स दिवस’ पर “एड्स नियंत्रण में युवाओं का योगदान” विषय पर संगोष्ठी आयोजित

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मारवाड़ी कॉलेज की एनएसएस इकाई द्वारा ‘विश्व एड्स दिवस’ पर “एड्स नियंत्रण में युवाओं का योगदान” विषय पर संगोष्ठी आयोजित

एचआईवी मानव शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को नष्ट करता है, जिससे व्यक्ति बीमार होकर अंत में मर जाता है- प्रधानाचार्य प्रो जायसवाल
विश्व एड्स दिवस के अवसर पर मारवाड़ी महाविद्यालय, दरभंगा की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वावधान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य प्रो लक्ष्मण प्रसाद जायसवाल ने कहा कि आज के युवा वर्ग को एचआईवी/एड्स के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। एड्स पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम है। हमारे शरीर में जो रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है उसे एचआईवी वायरस नष्ट करता है, जिस कारण हमारे शरीर के अंदर रोग से लड़ने की क्षमता समाप्त हो जाती है और अन्त में बीमार व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। आज एड्स नियंत्रण में युवाओं का योगदान काफी महत्वपूर्ण है। मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के एनएसएस समन्वयक डॉ आर एन चौरसिया के द्वारा एड्स के कारण, लक्षण और बचाव के बारे विस्तार से बताते हुए कहा गया कि एड्स रोगी के प्रति घृणा की भावना नहीं रखनी चाहिए। यदि एड्स रोगी भी परहेज एवं अच्छी दिनचर्या के साथ रहे तो सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन जी सकते हैं। भारत सरकार का लक्ष्य है 2030 तक एड्स से मुक्ति पाने का, जिसमें युवाओं का योगदान सर्वाधिक महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने एड्स की भयावता बताते हुए कहा कि दुनिया में अब तक एड्स से 4.41 करोड़ लोगों की मौतें हो चुकी हैं। यद्यपि 2010 से एचआईवी/एड्स के ग्राफ में तेजी से गिरावट आयी है, क्योंकि भारत में युवाओं ने काफी सक्रिय एवं जमीनी स्तर पर काम किया है। मुख्य वक्ता डीएमसीएच, दरभंगा के रक्त अधिकोष प्रभारी डॉ संजीव कुमार ने बताया कि अमेरिका में 1981 में सर्वप्रथम एचआईवी का पता चला था। असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित खून दूसरे को चढ़ाने से, संक्रमित सूई से तथा गर्भवती माता से उसके होने वाले बच्चे को एड्स होता है। युवाओं के द्वारा एड्स आदि रोगों के प्रति जागरूक कर स्वस्थ समाज का निर्माण संभव है।
कॉलेज के बर्सर डॉ अवधेश प्रसाद यादव ने कहा कि एड्स का पूर्ण इलाज संभव नहीं है, परंतु इसकी जानकारी ही हमें इससे बचा सकती है। सूचना, शिक्षा और संचार के माध्यम से युवा एड्स को नियंत्रित कर सकते हैं। कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ सुनीता कुमारी ने कहा कि आज भारत में 15 से 29 वर्ष की आयु के लगभग 37.1 करोड़ से अधिक युवा हैं जो भारत की कुल जनसंख्या का 27 % है। यह दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देशों में से एक है। इसलिये युवाओं पर काफी जिम्मेदारियाँ हैं, जिन्हें एड्स के प्रति अधिक जागरूक होने की जरूरत है। कार्यक्रम में स्वागत भाषण डॉ हेना गौहर द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रिया नंदन ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के डॉ अरविन्द झा, डॉ संजय कुमार, डॉ गजेन्द्र भारद्वाज, डॉ शकील अख़्तर, डॉ सोनी सिंह, डॉ बीडी मोची, डॉ. गुरुदेव शिल्पी, डॉ सुषमा भारती, डॉ आशुतोष कुमार, डॉ अमृता सिन्हा, डॉ उजमा नाज तथा आनंद शंकर आदि शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं कर्मचारियों सहित काफी संख्या में एनएसएस के स्वयंसेवक नीलेश, अनिल फैजल, स्मिता, स्मृति, सलोनी, विवेकानंद, आनंद एवं अन्य छात्र-छात्राएँ मौजूद थे।

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