मधेपुरा।
भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग में प्रो. (डा.) एम. आई. रहमान की अध्यक्षता में एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का विषय था: “मातृत्व मानसिक स्वास्थ्य”। कार्यक्रम हाइब्रिड मोड में आयोजित हुआ, जिसमें विश्वविद्यालय के शोधार्थियों, छात्र-छात्राओं और बिहार राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों ने ऑनलाइन भाग लिया।
विशिष्ट वक्ताओं के विचार
डा. कुमारी रंजीता (पूर्णिया विश्वविद्यालय): उन्होंने मातृत्व मानसिक स्वास्थ्य के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं माँ और परिवार के लिए आर्थिक दबाव पैदा कर सकती हैं और माँ के सामाजिक जीवन को भी प्रभावित कर सकती हैं।
डा. लक्ष्मी पांडेय (तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय): उन्होंने गर्भवती महिलाओं के लिए नियमित व्यायाम, स्वस्थ भोजन और पर्याप्त नींद के महत्व पर जोर दिया।
डा. स्मृति कुमारी (मुंगेर विश्वविद्यालय): उन्होंने मातृत्व मानसिक स्वास्थ्य के महत्व और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए सहायता प्राप्त करने की आवश्यकता पर चर्चा की।
डा. निधि सिंह (पटना विश्वविद्यालय): उन्होंने मातृत्व के दौरान मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों और दीर्घकालिक मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए निरंतर सहायता की आवश्यकता पर बल दिया।
डा. मीनाक्षी (मगध विश्वविद्यालय): उन्होंने प्रसवोत्तर मनोविकृति के लक्षणों और समय रहते पहचान और उपचार की आवश्यकता पर चर्चा की।
डा. बरखा अग्रवाल (ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय): उन्होंने पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) के प्रभावों और माताओं के अनुभवों पर प्रकाश डाला।
डा. प्रतिभा कपाही (आर. एम. कॉलेज, सहरसा): उन्होंने सौतेली माताओं के मानसिक स्वास्थ्य और उनके अनुभवों पर चर्चा की।
डा. अर्चना सहाय (बी. एन. वी. कॉलेज, मधेपुरा): उन्होंने गर्भवती महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य के महत्व और मानसिक विकारों के इलाज की संभावना पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम का समापन विभागाध्यक्ष प्रो. (डा.) एम. आई. रहमान के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। उन्होंने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया और इस महत्वपूर्ण विषय पर जागरूकता फैलाने के लिए विभाग की सराहना की।
इस कार्यक्रम ने मातृत्व मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझने और इस क्षेत्र में जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
