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“महानायक का उदय”—पटना रैली में अविनाश आनंद ने तेजस्वी यादव को भेंट किया विचारधारा से भरा प्रतीकात्मक पोट्रेट

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अतिपिछड़ा समाज की बुलंद आवाज बना राजद का युवा चेहरा मंडल अविनाश, फारबिसगंज से भारी जनसैलाब के साथ पहुंचे पटना, कहा—अब बिहार को चाहिए तेजस्वी

पटना ।

“जन-जन का संकल्प, महानायक ही बिहार का विकल्प”—इस नारे ने शनिवार को पटना के मिलर हाई स्कूल मैदान को गूंजा दिया, जब राष्ट्रीय जनता दल द्वारा आयोजित “अतिपिछड़ा जगाओ-तेजस्वी सरकार बनाओ” रैली में राजद युवा नेता एवं अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष मंडल अविनाश आनंद ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को एक विशिष्ट पोट्रेट भेंट किया।

यह पोट्रेट केवल एक चित्र नहीं, बल्कि एक आंदोलन, एक विरासत और एक भरोसे का प्रतीक बन गया। इसमें जेपी, कर्पूरी ठाकुर और लालू यादव के चित्रों के मध्य तेजस्वी यादव की उभरती छवि इस संदेश के साथ उकेरी गई थी कि अब समाजवादी विचारधारा का भविष्य तेजस्वी के हाथों में सुरक्षित है।

“अब तेजस्वी ही हैं समाजवादी विरासत के उत्तराधिकारी”—अविनाश आनंद
मंडल अविनाश आनंद ने रैली को संबोधित करते हुए कहा, “तेजस्वी यादव आज उस पीढ़ी का चेहरा हैं, जो पिछड़ों, वंचितों और उपेक्षितों को संविधानिक हक दिलाने की लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं। वे सिर्फ नेता नहीं, समाज के परिवर्तन का प्रतीक हैं।”

उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण की क्रांति, कर्पूरी ठाकुर की ईमानदारी और लालू यादव की सामाजिक न्याय की सोच का वर्तमान में अगर कोई असली वारिस है, तो वह तेजस्वी यादव हैं।

एनडीए सरकार पर सीधा वार
अविनाश ने भाजपा-जदयू गठबंधन पर तीखा हमला करते हुए कहा, “बीते 20 वर्षों में अतिपिछड़ा समाज को सिर्फ वोट बैंक समझा गया। उन्हें ना भागीदारी मिली, ना सम्मान। राजद ही एकमात्र दल है जिसने उन्हें पहचान दी, प्रतिनिधित्व दिया और नीति में भागीदारी दी।”

फारबिसगंज से ऐतिहासिक एकजुटता
रैली में फारबिसगंज विधानसभा क्षेत्र से आए सैकड़ों कार्यकर्ताओं, युवाओं और नेताओं के जत्थे ने रंग जमा दिया। अविनाश आनंद के नेतृत्व में बसों, गाड़ियों और पैदल काफिलों के साथ लोगों का उत्साह देखकर यह साफ हुआ कि मैदान में सिर्फ भाषण नहीं, विश्वास बोल रहा था।

पोट्रेट की प्रतीकात्मकता
जो पोट्रेट तेजस्वी यादव को भेंट किया गया, वह सिर्फ रंगों से नहीं, आंदोलन और आदर्शों से रचा गया था। उसमें अतीत, वर्तमान और भविष्य की एक गूंज थी—जो कहती है कि समाजवाद की मशाल अब तेजस्वी के हाथों में सुरक्षित है, और वह मशाल बिहार को एक नए युग की ओर ले जाने वाली है।

यह रैली एक राजनीतिक आयोजन से कहीं आगे थी—यह एक विचारधारा का प्रदर्शन थी, जिसमें अविनाश आनंद ने न केवल नेतृत्व का सम्मान किया, बल्कि एक पीढ़ी की आकांक्षाओं को शब्द, चित्र और जनसमर्थन के माध्यम से स्वर दिया। अब बिहार की जनता तेजस्वी में अपना भविष्य, अपनी उम्मीद और अपनी सरकार देख रही है।

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