निजी संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों के पक्ष में आया फैसला, अब राज्य सरकार को तीन माह में लागू करना होगा आदेश
मधेपुरा/डा. रूद्र किंकर वर्मा।
पटना उच्च न्यायालय द्वारा बिहार के निजी संबद्ध कॉलेजों में 19 अप्रैल 2007 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मियों के वेतन, भत्ते एवं पेंशन संबंधी अधिकारों को मान्यता देते हुए पारित किए गए ऐतिहासिक आदेश पर बीएन मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के अनुदानित डिग्री कॉलेज शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी संघर्ष मोर्चा ने प्रसन्नता व्यक्त की है।
संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष प्रो. मनोज भटनागर ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि “राज्य सरकार लंबे समय से संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों की उपेक्षा कर रही थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने इस फैसले के माध्यम से पीड़ित शिक्षा कर्मियों को न्याय दिलाया है।” उन्होंने कहा कि इस आदेश ने न केवल न्यायिक संवेदनशीलता को दर्शाया है, बल्कि सरकार को भी स्पष्ट संदेश दिया है कि अब और देर नहीं होनी चाहिए।
30 अप्रैल 2025 को आया यह फैसला ऐतिहासिक
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार एवं न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने 30 अप्रैल 2025 को यह ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। फैसले के अनुसार, 19 अप्रैल 2007 से पूर्व नियुक्त सभी शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों को वेतन, भत्ता तथा पेंशन सहित सभी सेवायोजन लाभ तीन माह के भीतर उपलब्ध कराए जाएं।
पेटिशनर्स को दी गई सराहना
प्रो. भटनागर ने विशेष रूप से कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा से जुड़े उन शिक्षकों का आभार जताया जिन्होंने रिट याचिका दायर कर न्यायालय का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कहा कि “यह फैसला इन शिक्षकों की अदम्य लड़ाई और अदालती प्रक्रिया में विश्वास का ही परिणाम है। इस निर्णय ने हजारों शिक्षा कर्मियों के जीवन में नई आशा का संचार किया है।”
शिक्षकों ने जताया आभार
इस ऐतिहासिक निर्णय पर विश्वविद्यालय से जुड़े कई प्रख्यात शिक्षकों ने प्रसन्नता जाहिर की है, जिनमें प्रो. विजेंद्र नारायण यादव, प्रो. सुजीत मेहता, प्रो. विनय कुमार विनायक, प्रो. सच्चिदानंद सचिव, प्रो. अभय कुमार, प्रो. बृजेश मंडल और प्रो. विनय कुमार झा प्रमुख हैं। सभी ने उच्च न्यायालय के प्रति आभार प्रकट करते हुए इसे शिक्षा क्षेत्र में न्याय और अधिकार की जीत बताया।
