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नाटक के युगपुरुष पद्मश्री दयप्रकाश सिन्हा की श्रद्धांजलि सभा

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सुभाष गौतम
नई दिल्ली, एल टी जी ऑडिटोरियम कॉपरनिकस मार्ग नई दिल्ली में संस्कृतिकर्मी, राजनयिक व प्रशासक पद्मश्री दयाप्रकाश सिन्हा जी की स्मृति सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष व सुप्रसिद्ध पत्रकार श्री रामबहादुर राय जी ने कहा कि कायप्रकाश सिंह जी ने शरीर छोड़ा है उनकी स्मृति को संजोना चाहिए। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में उनसे हमारे बीच असहमतियां होने के वावजूद उनके बीच स्नेह बहुत था। एक गुरु के तौर पर सिन्हा जी की तुलना हजारी प्रसाद द्विवेदी की किया। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में एक संरक्षक की अनुपस्थिति है।
संस्कृतिकर्मी श्री भारत गुप्त ने कहा कि उन्होंने अपनी अनुभूति का सदुपयोग किया। वह बहुत प्रबुद्ध व्यक्ति थे। हिंदी नाटकों में उनके नाटक ऐतिहासिक और संस्कृति थे। अशोक की छवि को उन्होंने प्रमाणिकता के साथ बदला।
संस्कार भारती के अविजेस जी उनमें प्रशासनिक गुड़ कला में प्रदर्शित होंते थे। वह अक्सर कलाकरो के गुड़ विशेष की चर्चा करते थे। उनसे प्रेरणा लेकर सरकार कल्चरल सर्विसेस शुरू करे तो भारत की कला विश्व में स्थान प्राप्त करेगी।
नृत्यंगना नलिनी जी कहा कि मेरी मुलाकात 1976 में मुलाकात हुई, तबसे जुडी रही। सम्बन्धो को दरसाना नहीं निर्वाह करना उनकी आदत थी, हृदय से सभी के साथ जुड़े थे। कलाकार का दूसरा जीवन उसके चले जाने के बाद शुरू होता है।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र सदस्य सचिव सचिदानन्द जोशी ने कहा कि उनका आशीर्वाद मुझे हमेशा मिलता रहा। कला केंद्र में हर तीन माह में उनसे मुलाकत होती थी। वह कहते थे आपमें अपना अक्स देखता हूँ। परफेक्शन को लेकर उनका बड़ा आग्रह था। उनके अंदर नए कलाकार जैसा उत्साह था, एक जीवंत व्यक्तित्व था। उन्होंने कभी किसी को हतोत्साहित नहीं किया। वह हम सब के साथ हैं और रहेंगे।
संस्कार भारती से चेतन जोशी ने कहा की चरकुला नृत्य जो मृत स्थिति में था, उसे जीवित किया।
प्रख्यात कवि गजेंद्र सोलंकी जी ने कहा कि उनका जीवन मेरे लिए बहुत प्रेरणादायक रहा। वह एक प्रोफेसर की तरह थे मैं एक छात्र की तरह। वह बहुत निष्ठावान व्यक्ति थे।
प्रो अविजिनेश अवस्थी जी ने कहा कि उनके स्वभाव में एक्टिविज़्म था। अवार्ड वापसी आंदोलन का बहुत पुरजोर तौर पर विरोध किया। वह कहीं भी रहे लेकिन नाटक से जुड़े रहे। नाटक के माध्यम से नैरेटिव तोड़ने व सत्य को जनमानस के सामने रखने का काम करते थे।
दिल्ली, लखनऊ,भोपाल व कई राज्यों से आए कलाकारों ने श्रधांजलि अर्पित किया। वहीं उनके नाती ध्रुव व उनकी बहु आना आदि ने भी उनको याद किया। इस अवसर पर सैकड़ो नाटकार व साहित्यकर्मी उपस्थित थे। उनकी बेटी ने एक उनके जीवन के ऊपर एक डाक्यूमेंट्री प्रस्तुत किया। संचालन प्रो अनिल जोशी जी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन उनके नाती ने किया।

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