दैनिक जागरण के बिहार में 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सीएम कॉलेज, दरभंगा में भाषण प्रतियोगिता आयोजित
दैनिक जागरण द्वारा भाषण प्रतियोगिता का आयोजन सराहनीय कदम, इससे छात्रों के ज्ञान, भाषाई शुद्धता एवं तर्कशक्ति में होगी वृद्धि- प्रो मुश्ताक अहमद
2050 की हमारी उच्च शिक्षा विश्वस्तरीय, सुयोग्य नागरिक बनने वाली, रोजगारपरक, नैतिकता पूर्ण एवं समाजोपयोगी हो- डॉ चौरसिया
दैनिक जागरण के बिहार में 25 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में आज सीएम कॉलेज, दरभंगा में “गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा और 2050 का बिहार” विषय पर प्रधानाचार्य प्रो मुश्ताक अहमद की अध्यक्षता में भाषण प्रतियोगिता का आयोजन सेमिनार हॉल में किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में एनएसएस के यूनिवर्सिटी कोऑर्डिनेटर डॉ आर एन चौरसिया, निर्णायक मंडल के सदस्य डॉ शैलेन्द्र श्रीवास्तव एवं डॉ संतोष कुमार तथा एनएसएस पदाधिकारी एवं प्रतियोगिता के संयोजक डॉ अभिमन्यु कुमार सहित अनेक व्यक्तियों ने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन से, जबकि समापन राष्ट्रगान से हुआ। भाषण प्रतियोगिता में आभा कुमारी- प्रथम, सना खातून- द्वितीय तथा सुमेधा श्रीवास्तव ने तृतीय स्थान प्राप्त किया, जिन्हें अतिथियों द्वारा सहभागिता एवं रैंक प्रमाण पत्र तथा मेडल से सम्मानित किया गया। वहीं अन्य प्रतिभागी- संदीप सिंह, रोशन कुमार, निवेदिता कुमारी, पप्पू कुमार, अंशु कुमारी, सौम्या कुमारी, श्रवण कुमार यादव, खुशी शर्मा, अमित कुमार यादव, शुभम कुमार, कल्याणी कुमारी, रश्मि कुमारी, अभिजीत कुमार, आकृति कुमारी, आदित्य कुमार झा, अंशु प्रिया तथा प्रसन्नजी चौधरी आदि को दैनिक जागरण की ओर से सहभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रो मुश्ताक अहमद ने दैनिक जागरण की इन प्रतियोगिताओं में अधिकाधिक छात्रों के भाग लेने को शुभ संकेत मानते हुए कहा कि छात्रों को पुस्तकीय पढ़ाई के अतिरिक्त भी अन्य गतिविधियों में भाग लेना चाहिए। इनसे उनका ज्ञानवर्धन, क्षमता जांच, व्यक्तित्व विकास एवं चरित्र- निर्माण होता है। प्रतियोगिताओं में भाग लेने से छात्रों की सोच, शैली, ज्ञान के साथ ही उनकी कमियों का भी पता चलता है। उन्होंने कहा कि दैनिक जागरण द्वारा भाषण प्रतियोगिता का आयोजन सराहनीय कदम है, क्योंकि इससे छात्रों के ज्ञान, भाषाई शुद्धता एवं तर्क शक्ति में वृद्धि हो रही है। यूजीसी के नियमानुसार 33 छात्रों पर एक शिक्षक होना आवश्यक है, परंतु आज कॉलेज में शिक्षकों की संख्या काफी कम है, क्योंकि बहुत दिनों से छात्र शिक्षक अनुपात तय नहीं हुआ है। प्रधानाचार्य ने 2050 की गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा की रूपरेखा बताते हुए कहा कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के लिए बिहार में बहुत अधिक सुधार करने की जरूरत है, जिसके लिए सरकारी अधिक बजट, नीति निर्धारण एवं उसका अनुपालन तथा शिक्षक एवं छात्रों के साथ ही पूरे समाज का पूर्ण सहयोग भी आवश्यक है।
मुख्य अतिथि डॉ आर एन चौरसिया ने कहा कि बिहार का शैक्षणिक इतिहास स्वर्णिम रहा है, जिसे 2050 तक पुनः प्राप्त करने की बेहद जरूरत है। शिक्षा हमारी कार्यक्षमता एवं गुणवत्ता को बढ़ाती है। बिहार के युवाओं में प्रतिभा एवं क्षमता की कोई कमी नहीं है। सिर्फ उन्हें सही दिशा एवं उचित अवसर देने की जरूरत है। शिक्षा से संस्कारित, नौकरी प्रदाता, आत्मविश्वासी एवं आत्मनिर्भर युवा तैयार होंगे जो तकनीक, नवाचार एवं शोध को बढ़ावा देंगे। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 2050 की हमारी उच्च शिक्षा विश्वस्तरीय, सुयोग्य नागरिक बनने वाली, रोजगारपरक एवं नैतिकता पूर्ण होनी चाहिए। उच्च शिक्षा प्राप्त छात्र केवल ज्ञानी एवं योग्य ही नहीं, बल्कि सर्वगुण संपन्न नागरिक एवं समाजोपयोगी भी होना चाहिए।
निर्णायक मंडल के सदस्य द्वय- डॉ शैलेन्द्र श्रीवास्तव एवं डॉ संतोष कुमार ने कहा कि शिक्षा विकास का मूल आधार है, जिसका अंतिम उद्देश्य शोषण रहित एवं हिंसा मुक्त समाज की स्थापना है। समाज में सद्भाव, सहयोग, संवेदनशीलता तथा सह अस्तित्व की भावना को मजबूती देकर ही शिक्षा अपनी सार्थकता सिद्ध कर सकती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा की रोशनी समाज के उपेक्षित, वंचित तबके तक ले जाना आवश्यक है, ताकि वे भी विकास की मुख्य धारा में शामिल हो सकें। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि 2050 की हमारी उच्च शिक्षा गुणवत्तापूर्ण होगी जो मानवता से परिपूर्ण तथा समाज के कल्याणार्थ होगी। अतिथि स्वागत करते हुए प्रतियोगिता के संयोजक एवं कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ अभिमन्यु कुमार ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए समान शिक्षा प्रणाली लागू करना आवश्यक है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और भावी पीढ़ी को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए ज्ञान और कौशल से लैस करने हेतु नए-नए उपायों पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली में नवाचार को बढ़ावा देने से बच्चों के नैसर्गिक गुणों का विकास हो सकता है। कार्यक्रम- उद्घाटन एवं भाषण नामक दो चरणों में संपन्न हुआ, जिसका संचालन रोशन कुमार ने किया।
प्रतिभागियों ने कहा कि नालंदा एवं विक्रमशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालय वाले बिहार में आज शिक्षा की मसाला जलने की जरूरत है। बिहार के आर्यभट्ट ने शून्य की खोज की, जबकि हमारे बुद्ध ने दुनिया को युद्ध की जगह शांति का उपदेश दिया। वहीं छपरा के राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हमें सिर्फ ज्ञान नहीं, बल्कि कौशल, व्यवहार, तकनीक तथा रोजगार आदि भी देता है। काफी दुखद स्थिति है कि आज बिहार के छात्र पढ़ने हेतु बाहर जाते हैं। बिहार आज गरीबी, पिछड़ापन की दौड़ से निकल रहा है। बिहार में सरकार द्वारा शिक्षा पर सर्वाधिक राशि व्यय की जा रही है। 2050 में बिहार की शिक्षा गुणवत्तापूर्ण, विश्व स्तरीय, योग्यता वर्धक एवं चुस्त-दुरुस्त होगी। छात्र केवल डिग्री ही प्राप्त नहीं करेंगे, बल्कि आत्मनिर्भर भी बनेंगे।