नई दिल्ली, 8 अप्रैल। दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. भीमराव अम्बेडकर महाविद्यालय के हिन्दी विभाग ने शोध-प्रविधि विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया. कार्यशाला में साहित्य, पत्रकारिता पाठ्यक्रम के साथ-साथ अन्य समाज विज्ञान के लगभग सौ छात्रों ने भाग लिया. कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं मीडिया विशेषज्ञ प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी ने जहां शोध, सत्य और अनुभव के अन्तर्सबंधों पर अपने विचार व्यक्त किए वहीं कार्यशाला प्रशिक्षक के तौर पर हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजीव रंजन गिरि ने शोध से जुड़े तकनीकी पक्ष पर चर्चा करते हुए छात्रों के बीच अभ्यास कार्य भी करवाया. इस मौके पर उपस्थित महाविद्यालय प्राचार्य प्रोफेसर सदानंद प्रसाद ने कहा कि मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि स्नातक स्तर पर ही विद्यार्थियों के लिए शोध पर कार्यशालाएं आयोजित हो रही हैं. मुझे उम्मीद है कि इससे छात्रों को शोध क्षेत्र का विषय चुनने एवं तकनीकी पक्ष को समझने में मदद मिलेगी ।
प्रो जगदीश्वर चतुर्वेदी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि शोध- प्रविधि का अर्थ जड़ता को खत्म कर ज्ञान की दुनिया का विस्तार करना है । शोध के क्षेत्र में जाने पर प्रिय लेखक और विषयों के प्रति भी निर्मम होना पड़ता है क्योंकि यह सच पर आधारित काम है. उन्होंने कहा कि शोध असंभव को संभव बनाने के लिए होता है । शोध विषय चयन पर बात करते हुए कहा कि वही विषय तय करना चाहिए जिस पर काम नहीं हुआ हो और संदर्भों को पढ़ते समय उसकी तह तक जाने की कोशिश करनी चाहिए.
शोध प्रशिक्षक डॉ. राजीव रंजन गिरि ने कहा कि शोध करते समय किसी खास दृष्टिकोण से विषय को नहीं देखना चाहिए । शोध करने का उद्देश्य केवल तथ्यों के माध्यम से लक्ष्य तक पहुंचना होता है । ऐसे में ज़रूरी है कि शोधार्थी अलग-अलग दृष्टिकोण, सोच और वैचारिकी का अध्ययन करे. डॉ गिरि ने छात्रों को प्रायोगिक कार्य के माध्यम से शोध के तमाम पहलुओं से परिचित कराया ।
कार्यक्रम के अंत में हिंदी विभाग प्रभारी प्रो चित्रा रानी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि जब हम ज्ञानी लोगों के साथ बैठते हैं तो हमारे ज्ञान में वृद्धि होती है । शोध केवल डिग्री के लिए नहीं होता है, उसका असर बहुत व्यापक होता है। कार्यशाला में महाविद्यालय के शिक्षक प्रो. रामप्रकाश द्विवेदी, प्रो ममता, प्रो बिजेंद्र कुमार, प्रो शशि रानी,डॉ धनंजय कुमार, डॉ विनीत कुमार, डॉ कुसुम नेहरा, डॉ नीरव अडाल्जा,, डॉ रजनी वत्स,डॉ आदर्श मिश्रा, डॉ. मंजू शर्मा, डॉ सरोज और अखिलेश आदि शिक्षकों के साथ-साथ विभिन्न पाठ्यक्रम के छात्र उपस्थित रहे. मंच संचालन का काम हिन्दी विभाग के छात्र अभय और आशिका ने किया.