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आधे अधूरे पारिवारिक जीनव की जटिलताओं को उजागर किया

नई दिल्ली, 5 जुलाई। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के तरफ से आयोजित ग्रीष्मकालीन नाट्य महोत्सव के अंतर्गत सुप्रसिद्ध साहित्यकार, नाटककार मोहन राकेश के नाटक आधे अधूरे का भव्य मंचन अभिमंच सभागार में किया गया। मोहन राकेश का नाटक आधे अधूरे रंगमंच और साहित्य के क्षेत्र में कलजयी माना जाता है। यह नाटक आधुनिक भारतीय समाज में मानवीय संबंधों, विशेष रूप से वैवाहिक जीवन की जटिलताओं, अधूरेपन और मनोवैज्ञानिक गहराई को उजागर करता है। मोहन राकेश के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में, एनएसडी रिपर्टरी गर्व के साथ उनके प्रतिष्ठित नाटक आधे अधूरे का मंचन प्रस्तुत किया, जो समर थिएटर फेस्टिवल का हिस्सा है।
इस ऐतिहासिक नाटक का पुनः मंचन लगभग 30 वर्ष बाद स्व श्रीमती त्रिपुरारी शर्मा ने निर्देशित किया था। जो भारतीय रंगमंच और हिंदी साहित्य में एक बड़ा नाम है। इस प्रस्तुति में मूल प्रमुख कलाकार प्रतिमा कन्नन और रवि खानविलकर पुनः मंच पर अपनी भूमिका बहुत खूबसूरती से निभाया। मंच सज्जा और प्रॉपर्टी का खूबसूरती से इस्तेमाल किया गया था। प्रकाश का अदभुत प्रयोग किया गया था।

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