नई दिल्ली, 11 जून। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रेपर्टरी कंपनी के चल रहे समर थिएटर फेस्टिवल 2025 के अंतर्गत आज नाटक ‘बायेन’ का मंचन किया गया। बायेन महाश्वेता देवी की कहानी पर आधारित एक सशक्त नाटक है जो सामाजिक-आर्थिक विषमताओं और मानवीय जीवन के विभिन्न रंगों को उजागर करता है। इसमें अंधविश्वास, गरीबी और अशिक्षा जैसी समस्याओं से जूझते किरदारों को दिखाया गया है जो अंधकार में खो तो जाते हैं, लेकिन अंततः उससे उभरकर बाहर भी आते हैं।
इस नाटक की मुख्य पात्र चंडी दासी बचपन में ही मृत जानवरों को दफनाने के कार्य में लगा दी जाती है – एक ऐसा कार्य जो उसके पूर्वजों द्वारा किया जाता रहा था। बाद में वह मलिंदर नामक व्यक्ति से विवाह करती है जो सरकारी श्मशान में कार्यरत है। लेकिन यही मलिंदर बाद में उसे ‘बायेन’ घोषित कर देता है – एक अंधविश्वासी और अपमानजनक संज्ञा। इसके बाद चंडी दासी को समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है और वह अपनी सामान्य मानव अधिकारों से भी वंचित हो जाती है।
नाटक यह दर्शाता है कि किस प्रकार चंडी, जो मां बनने के अधिकार से भी वंचित हो जाती है, अंततः खुद को नयी चेतना से जोड़ती है और वही चेतना हजारों माताओं के संघर्ष और शक्ति का प्रतीक बनती है। उसका बेटा भागीरथ युवा पीढ़ी का प्रतिनिधि बनकर उभरता है और समाज में आत्म-सम्मान व गरिमा की लौ जलाता है। नाटक की वस्त्र सज्जा, लाईट और सेट डिजाइ बेहतर था। नाटक दर्शकों में बहुत गहरा प्रभाव छोड़ा। नाटक की सराहना दर्शकों में दिखी। मुख्य पात्र बायेंन का अभिनय अद्भुत था।